सन 1881
के बात है जब एक प्रोफ़ेसर ने स्टूडेंट से पूछा यह धरती ब्रह्मांड यह सब भगवान ने बनाया है, तो स्टूडेंट ने जवाब दिया, हां। प्रोफेसर ने दोबारा पूछा तो शैतान के किसने बनाया क्या शैतान को भगवान ने बनाया है, तब स्टूडेंट ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन स्टूडेंट ने उस प्रोफ़ेसर से एक प्रश्न पूछने के अनुमति मांगी, प्रोफ़ेसर ने अनुमति दी। तो स्टूडेंट ने पूछा किया ठंड का वजूद है प्रोफ़ेसर ने हा हे क्या ठंड का एहसास नहीं हो रहा है , स्वामी विवेकानंद जवाब दिया क्षमा करें सर आपका उत्तर गलत है ठंड का कोई अस्तित्व नहीं। ठंड केबल अ केवल पुष्मा अ गर्मी अनुपस्थित का एहसास है, ठंड कोई अस्तित्व नहीं है।
उस स्वामी विवेकानंद दोबारा प्रश्न किया क्या अंधकार का कोई अस्तित्व हो, प्रोफ़ेसर ने दोबारा जवाब दिया हां हो। रात होने पर अंधकार ही तो होता है स्वामी विवेकानंद जवाब दीजिए आप दोबारा गलत है सर अंधकार इसका खुद का अस्तित्व नहीं है, अंधकार दरअसल प्रकाश का अनुपस्थित है
के बात है जब एक प्रोफ़ेसर ने स्टूडेंट से पूछा यह धरती ब्रह्मांड यह सब भगवान ने बनाया है, तो स्टूडेंट ने जवाब दिया, हां। प्रोफेसर ने दोबारा पूछा तो शैतान के किसने बनाया क्या शैतान को भगवान ने बनाया है, तब स्टूडेंट ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन स्टूडेंट ने उस प्रोफ़ेसर से एक प्रश्न पूछने के अनुमति मांगी, प्रोफ़ेसर ने अनुमति दी। तो स्टूडेंट ने पूछा किया ठंड का वजूद है प्रोफ़ेसर ने हा हे क्या ठंड का एहसास नहीं हो रहा है , स्वामी विवेकानंद जवाब दिया क्षमा करें सर आपका उत्तर गलत है ठंड का कोई अस्तित्व नहीं। ठंड केबल अ केवल पुष्मा अ गर्मी अनुपस्थित का एहसास है, ठंड कोई अस्तित्व नहीं है।
उस स्वामी विवेकानंद दोबारा प्रश्न किया क्या अंधकार का कोई अस्तित्व हो, प्रोफ़ेसर ने दोबारा जवाब दिया हां हो। रात होने पर अंधकार ही तो होता है स्वामी विवेकानंद जवाब दीजिए आप दोबारा गलत है सर अंधकार इसका खुद का अस्तित्व नहीं है, अंधकार दरअसल प्रकाश का अनुपस्थित है
आइए जानते हैं भारतीय संस्कृति को विश्वस्तर तक पहचान दिलाने वाले महापुरुष स्वामी विवेकानंद के बारे में
जीवन परिचय
स्वामी विवेकानन्द पूरा नाम नरेंद्रनाथ विश्वनाथ दत्ता था
इनका जन्म पश्चिम बंगाल कोलकाता मैं एक हिंदू परिवार में हुआ। इनके 9 भाई बहन थे , पिता पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता हाईकोर्ट में जो वकालत करते थे, विवेकानंद कै मा भुवनेश्वरी देवी सरल अ धार्मिक विचार वानि महिला थी। स्वामी विवेकानंद किए दादा दुर्गा दत्त संस्कृत और फारसी के विद्यमान थे जिन्होंने 25 साल के उम्र में अपना घर परिवार त्याग कर सन्यासी जीवन शिकार कर लिया था। नरेंद्र बचपन से शरारत और कुशाग्र बुद्धि बालक थे उनके माता-पिता को कई बार उनको समलाने में और समझाने में बहुत परेशानी होती थी। बचपन में उन्होंने वेद भगवत गीता रामायण महाभारत वेदांत अपने माता से सुनने क्या शौक था और योग कुश्ती विशेष रूचि थी।