
हम लोग एक ऐसे समाज में जीते हैं जहां पत्थर के मूरत को लगते हैं 56 भोग और भूखे नंगे तड़पते सो जाते हैं लोग भूखे नंगे तड़पते सो जाते हैं लोग
मजदूर को मजदूर समझिए मजबूर नहीं गरीब को काम कीजिए दान नहीं अगर दान देने के इच्छुक है जीते जी रक्तदान दीजिए और मरने के बाद अंग दान देकर, किसी मरते हुए जीवन दान दीजिए
[यही सच्ची देश भक्ति है यही सच्ची राष्ट्रप्रेम है]
ना सरकार मेरी है ना रब मेरा है, ना सरकार मेरी है ना रब मेरा है ना ही बड़ा सा नाम मेरा है बस इतनी सी बात का गुरूर है कि भारत का हूं भारत मेरा है और भारत मेरा है
परंतु एक बेचारी बीमारी हमारी समाज मैं नजर आता है कहा जाता है दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र है यहां हिंदू पैदा होता है मुस्लिम सिख ईसाई भी पैदा होता है लेकिन किस्मती है इंसानों पैदा नहीं होता
मेरे विचारों में ना हिंदू के जरूरत है ना मुसलमान के जरूरत है राष्ट्र निर्माण के लिए केवल अच्छे इंसान के जरूरत है केबल अच्छे इंसान के जरूरत है