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आधुनिक भारत के लिए यह एक नया शुरुआत थी, जिसकी पहले यहां के कुछ खास चित्रकारों ने की। हमारे देश में आज आधुनिक कला की जो मजबूत इमारत खड़ी है, उसके आधार स्तम्भ है हमारे वे साहसी चित्रकार, जिन्होंने इस आंदोलन के भारतीय रंग में रंगकर आगे बढ़ाया है। इन्ही चित्रकारों ने यहां पर आधुनिक चित्रकला के इतिहास रचना और उसके भावी स्वरूप का भूमिका तैयार की। कला गुरु अवनीन्द्र नाथ टैगोर,
रवीद्र नाथ टैगोर ने भारत में आधुनिक कला की जड़ें जमाई, अपने मौलिक सुजन प्रतिभा का परिचय दिया। आधुनिक कला के इतिहास के मुख्य ग्रुप से चार कालखण्ड मान सकते हैं, प्रथम कालखण्ड है,19 वीं शदी का उत्तरार्द्ध, दूसरा बीसवीं सदी के आरम्भ से प्रथम विश्वयुद्ध के अन्त तक का, तीसरा, दोनों विशव युद्ध के बीच का और चौथा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का।
प्रथम विश्वयुद्ध के अन्त तक की आधुनिक काला के कला की आधुनिक काला के कला क्षेत्रीय एवं सामाजिक महत्व का एवं इस कालखण्ड की कला के इतिहास का विवरण कुछ विस्तार से किया है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात आधुनिक कला के क्षेत्र में हुए विभिन्न प्रयोगों के मुलाधार बीसवीं सदी के आरम्भिक कालखण्ड में हुए कलात्मक प्रयोगों द्वारा प्रकाशित कलातत्व हो थे।